कभी-कभी यूँ भी हो जाता है कि कोई चीज़ पढ़कर दिल उतावला सा हो जाता है...आज अभी-अभी मेरे साथ ऐसा ही हुआ...कि इक छोटी सी हिंदी ग़ज़ल मैंने पढ़ी और दिल यूँ बाग़-बाग़ हो गया कि गर्मी के मौसम में जैसे इस बाग़ से मीठे-मीठे आम बस गिरने ही वाले हों..इस मीठी-सी ग़ज़ल को पढ़कर नहीं महसूस कर ऐसा ही लगा और अब इसे रज़िया जी की अनुमति के बगैर आपको अपने ब्लॉग पर ही पढवा रहा हूँ....आप दाद दो उनको,मुझे तो ऐसी खुजली हुई कि मैंने दाद-खुजली सब उनको दे डाली है....उनका लिंक और मेल भी साथ ही लिख रहा हूँ.. अब जिसकी चाहे जैसी मर्ज़ी....रज़िया जी आपको बुरा लगे तो मुआफ कर देना....अच्छा लगे तो भी मैं तो हूँ ही नहीं.....!!
Monday, April 5, 2010
चलो धूप से बात करें ` ` `
कुछ कारणो से लम्बे समय से ब्लागजगत से दूर रही. आज एक रचना के साथ लौट रही हूँ.
चलो धूप से बात करें
अब तो शुभ प्रभात करें
.
रिश्ता-रिश्ता स्पर्श करें
अब तो ना आघात करें
.
सुनियोजित करते ही हैं
कुछ तो अकस्मात करें
.
तेरे-मेरे अपने है-सपने
फिर किसका रक्तपात करें
.
नेह का प्यासा अंतर्मन
कोई नया सूत्रपात करें
Posted by Razia at 6:05 AM
Labels: ग़ज़ल
http://razia-unlimited-sky.blogspot.com/
kazmirazia@yahoo.com
और मेरे उतावले बावरे दिल ने यूँ उनपर अपना प्यार लुटाया....(नीचे देखिये ना...फिर....!!)
हर इक पंक्ति ने मिरे भीतर तक गहरा असर किया
उफ़ रज़िया ये तूने क्या लिख,दिया क्या लिख दिया !
उर्दू की वीणा पर मधुर एक तान सी क्या छेड़ दी
तेरे इस मीठे संगीत ने हिंदी का भी भला कर दिया !
अगर तू इसी तरह वापस लौटा करती है तो वापस जा
इस पछुआ की पवन ने दिल को हरा-भरा कर दिया !
जब भी पढ़े हैं हमने गाफिल किसी के प्यारे-प्यारे हर्फ़
भीतर से निकाल कर यूँ वां अपना दिल ही रख दिया !!
5 टिप्पणियां:
bahut khoob .
तेरे इस मीठे संगीत ने हिंदी का भी भला कर दिया !!!
अच्छी बाते लिखी है !भूतनाथ जी बधाई !
बहुत खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
bhootnath ji...nayi pahal hai..badhiya!
bhootnath ji...nayi pahal hai..badhiya!
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