देखिये गरीब भईया जीहमन तो एक्क ही बतवा कहेंगे......एही की.....बहुते चीज़ दूर होन्ने से मीठा हो जाता है......आदमिवा से कोइयो चीज़ को दूर कर दीजिये ना....ऊ चीज्वा ससुरवा तुरंते मीठा हुई जावेगा....सरकारे भी एही भाँती सोचती है....झूठो का झंझट काहे करें...ससुरी चीनी को मायके भेज दो देखो आदमी केतनों पईसा खर्च करके ससुरा उसको,जे है से की लेयिये आवेगा.....!!
आउर देखिये बाबू ई धरती पर गरीबन को जीने-वीने का कोइयो हक़-वक नहीं है....उसको जरुरत अगर अमीरन को खेती करने,जूता बनाने,पखाना साफ़ करने,दाई-नौकर का तमाम काम करने,वेटर-स्टाफ का काम करने,चपरासीगिरी करने या मालिक का कोइयो हुकम बजाने का खातिर नहीं हो तो ई ससुर साला गरीब आदमीं का औकाते का है की साला ऊ इस सुन्दर,कोमल,रतन-गर्भा धरती पर जी सके.......!!
आउर ई बात के वास्ते दुनिया का तमाम गरीबन को अमीरन लोगन का धन्यावाद ज्ञापित करना चाहिए....और साला ई गरीब लोग है की कभी महंगाई,कभी का,कभी का.....ससुरा बात-बात पे झूठो-मूठो जुलुस-वुलुस निकाल-निकाल कर माहौल को एकदम गंधा देता है...चीनी तो एगो छोटका सा बात है....अबे ससुरा महँगा हो गया तो मत खाओ.......तुमको कोई बोला की तूम चीनी खायिबे करो......??एए फटफटिया बाबू लोगन अब,जे है से की ई सब बातन को तूम सब बंद भी करो.....साला महीना-दू महीना से इही सब चिल्ला रहे हो तूम सब...अरे तूम सबका मुह्न्वा दुखता नहीं का....तूम सब लोग थकते नहीं का.....!!
अरे भईया एतना तो समझो की ई सार ग्लोबल युग है.....आउर कोई भी बात धरती पर होता है तो ऊ एके सेकेण्ड में ई पार से ऊ पार पहंच जाता है.....देस का बदनामी तो होयिबे करता है.....आउर ससुरा उहाँ का ब्यापारी भी अपना चीनी को भारत के वास्ते आउर भी महँगा कर देता है....बोलो....दोहरा नुकसान हुआ की नहीं...!!....देस को ई नुक्सान किसके कारण हुआ.....तुमरे कारण....ससुरा फटफटिया माफिक हल्ला करते रहते हो.....का दाम है भईया चीनी का.....चालीस रुपिया....सो तूम हमको बताओ....ई एको डालर है.....????अभी भी एक डालर में कुछ रुपिया कम है ई.....साला किसी चीज़ में तुम सब अगर एको डालर भी खर्च नहीं कर सकते....तो हमरे पियारे से भईया.... तूम साला जिन्दा काहे को हो....अभी के अभी मरो साला तूम......!!
साला गू-मूत में रहने वाला.....नदी नाला में जीने वाला तूम सब लोग चीनी खायेगा.....???....चलो भागो यहाँ से.....हम पूछते हैं की हम चीनी खा-खाकर मर गए.....तब्बो भूत बने.....तूम सब चीनी नहीं खाकर मरेगा....तब का कुच्छ और बन जाएगा का....??बनना तो सब्बेको भूते है ना....!!तब काहे को चिंता लेता है की कौन का खाया....कौन का नहीं खाया.....??
आउर दूसरा बात ई भी हमरा सुनो बबुआ....जे है से की......ई ससुरा जो दुःख आदि जो है ना......ऊ ससुरा आदमी का करम-फल है...ईससे कोइयो नहीं बच सकता.....तूम का भगवान् हो......??तूम ससुरा का दरिद्र.....""नारायण""हो.....??अरे भईया काहे एतना फडफडाते हो....खुदो चैन से जीओ....आउर हम सरकार-अफसर-नेता आउर अमीर लोगों को चैन से जीने दो....हम लोग का मिटटी खाकर पईदा लियें हैं.....??
आउर भईया एग्गो आखिर बात.....आखिर जब तूम सबको हम सबका सुख नहीं देखा जाता....या तूम सब हम लोगो से घिरिना करते हो तो भईया....तूम सबके आस-पास जो भी नदी-कुँआ-तालाब-पोखर.....या जो भी कुच्छो हो...उसमें जाकर डूब मरो....काहे ससुर धरती का सांति-वान्ति भंग करते हो.....अमीरों का रंग में भंग करते हो.....हम कहते हैं की तूम लोग तब्बो नहीं मानोगे तो साला हम मिलेटरी बुलवा देंगे......तूम सब साला के ऊपर बूल-डोजर चढवा देंगे.....थोडा कह कर जा रहे है....तूम जियादा ही समझ लेना.....!!रोज आँखे हुई मेरी नम
रोज इक हादसा देखा....!!
मुझसे रहा नहीं गया तब
जब किसी को बेवफा देखा !!
मैं खुद के साथ जा बैठा
जब खुद को तनहा देखा !!
रूठ जाना मुमकिन नहीं
बेशक उसे रूठा हुआ देखा !!
गलियां सुनसान क्यूँ हैं भाई
क्या तुमने कुछ हुआ देखा !!
मैं उसे तन्हा समझता रहा
पर इतना बड़ा कुनबा देखा !!
आज तुझे बताऊँ "गाफिल"
धरती पर क्या-क्या देखा !!
7 टिप्पणियां:
बाप रे कलम है या बुल्डोजेर.
क्या करे कोई जब ससुरा हालत कुछ ऐसे हों.
का लिखे हो भैया जी !! वाह मज्जा बांध दिए हो जी | एसन ही लगे रहिये ,हमरी शुभकामना तो हइये आप के साथ !
jab bhi aapko padhti hoon sochne par majboor ho jaati hoon...aapke blog par aana hamesha hi ek experience rehta hai
अच्छी,सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
अनोखे अंदाज़ में हैं यहां आप...
कई बातें बड़ी मारक कह जाते हैं...
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम! जितनी भी तारीफ की जाए आपकी लेखनी की कम है! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
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