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मुट्ठी यूँ तो बंद है,मगर उसमें कुछ भी नहीं है !!
बुधवार, 22 जुलाई 2009
कहें तो किससे कहें कि हमारे पास क्या नहीं है,
मुट्ठी यूँ तो बंद है,मगर उसमें कुछ भी नहीं है !!
गरज ये कि सारे जहां को खिलाने बैठ गए हैं,
और तुर्रा यह कि खिलाने को कुछ भी नहीं है !!
तू यह ना सोच कि मैं तेरे लिए कुछ भी न लाया
हकीकतन तो यार मेरे पास भी कुछ भी नहीं है !!
मैंने तेरा कुछ भी ना लिया है ए मेरे दोस्त,यार
तेरे दिल के सिवा मेरे पास और कुछ भी नहीं है !!
अपनी ही कब्र पर बैठा यह सोच रहा हूँ "गाफिल"
जमा तो बहुत कुछ किया था,पर कुछ भी नहीं है !!
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2 टिप्पणियां:
मुट्ठी यूँ तो बंद है,मगर उसमें कुछ भी नहीं है !! boht khoobsurat rachna...very emotional....
band mutthi laakh ki, khuli to khaak ki.. !!
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