हाँ,दुनिया इसी की तलाश में है.....!! मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! रोज-ब-रोज सूरज उग रहा है,रोज-ब-रोज रात हो रही है.आदमी के सम्मुख अँधेरा और उजाला दोनों ही हर वक्त होते हैं.मगर आदमी अँधेरे को ही पहले तरजीह देता है !!क्योंकि अँधेरे में ही उसकी समस्त वासनाओं का शमन होता है !!आदमी धीरे-धीरे एक ऐसी चीज़ में परिणत होता जा रहा है जो हर वक्त सिर्फ-व्-सिर्फ अपने और अपने स्वार्थ को येन-केन-प्रकारेण पूरा करने के बारे में सोचती रहती है.जीवन को भरा-पूरा बनाने के साधनों का एक ऐसा अंतहीन तिलिस्म आदमी ने अपने चारों तरफ फैला...
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मंगलवार, 9 जून 2009
हाँ,दुनिया इसी की तलाश में है.....!!
शनिवार, 6 जून 2009
आप ही फ़ैसला करें दानिश भाई का....!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! आप ही फ़ैसला करें दानिश भाई का....!! aap faisla karen daanish bhaayiji kaa.....!! RAJEEV THEPRA to lgdanish show details 11:25 AM (8 minutes ago) Reply भईया लोगों,ज़रा इन्हें पहचानिये.....!!ई साहब तो ब्लागरों के बाप हैं....इनका ब्लाग" मोहब्बत में दिक्कतें " सारे अन्य ब्लागरों की रचनाओं से मोहब्बत करता है....अन्य ब्लोगर की रचनाएं ये साहब अपने ब्लॉग पर अपने ही नाम से चस्पां करते हैं,आज किसी लिंक...
मंगलवार, 2 जून 2009
उफ़ !!यूँ भी होता तो क्या होता...??
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!उफ़ यूँ भी होता तो क्या होता गर्द से भरा मेरा चेहरा होता !! इतने लोगों का यही है फ़साना इस भरी भीड़ में तनहा होता !! बावफा होकर भी यही है जाना इससे बेहतर था बेवफा होता!! तिल-तिल मरने से तो अच्छा है जहर खा लेने से फायदा होता !! अक्सर गम में हम ये सोचा किये मेरे बदले यां कोई दूसरा होता!! अच्छा इस बात को भी जाने दो कि यूँ भी होता तो क्या होता !! अच्छा हुआ कि तनहा गुजर गया भीड़ में मरता तो क्या माजरा होता...
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