इंटरनेट पर समस्याओं पर बात करना कितना अच्छा है है ना.......!!
चाय की चुस्कियों के संग गरीबों पर गपियाना कितना अच्छा है ना.....!!
कहीं बाढ़ आ जाए,आग लग जाए,भूकंप हो या कहीं मारे जाएँ कई लोग
की-बोर्ड पर अंगुलियाँ चलाकर उनपर चिंता जताना कितना अच्छा है ना !!
घर से बाहर रहूँ तो पुत्री के छेड़े जाने पर हिंदू-मुस्लिम का दंगा मचवा दूँ....
और किसी ब्लॉग पर एकता की बातें बतियाना कितना अच्छा है ना....!!
हर कोई अपनी-अपनी तरह से सिर्फ़ अपने ही स्वार्थों के लिए जी रहा है
और किसी और को उसकी इसी बात के लिए लतियाना कितना अच्छा है ना !!
अपनी बेटी के लिए तो हम चाहते हैं कि उसे कोई नज़र उठाकर भी ना देखे
दूसरो की बेटियों पर चौबीसों घंटे अपनी गन्दी राल टपकाना कितना अच्छा है ना !!
ये एशो-आराम....ये मज़े-मज़े का जीवन,ना सर्दी की फिक्र,ना बरसात का गम....
ए.सी.की ठंडी-ठंडी हवा में गाँव की धुप पर चिंता जताना कितना अच्छा है ना....!!
दोस्तों "गाफिल"भी आपसे अलहदा नहीं,वो भी यही सब कर रहा है मज़ा-मज़ा-सा
टैक्स चोरी पर लाड लड़ाना,और फिर सरकार को गरियाना कितना अच्छा है ना !!
Visitors
दोस्तों......यह सब कितना अच्छा है ना.....!!
गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
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3 टिप्पणियां:
वाकई यही हो रहा है और यही सब कर रहे हैं /यही तो लेखन की कुशलता है की ए सी रूम में बैठ कर (चाय की क्यों ?बियर की क्यों नहीं ?) चुस्कियां लेता हुआ लेखक ऐसी सटीक लिखता है जैसे तपती धूप में किसी झोंपड़ पट्टी में बैठ कर लिखा गया हो /सही है अपनी पीठ पीठ दूसरे की पीठ दीवार / बहुत सुंदर लिखा है आपने
sahi baat hai internet pe bbate karna har kisee ko psand hai...
कथनी और करनी में फरक मिट जाये तो सभी गांधी न बन जाएँ ! इस खाई को कोन कितना कम कर पाता है, यही चरित्र की कसोटी है!
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