अपनी ही धून में गुम हूँ मैं
बस थोड़ा सा गुमसुम हूँ मैं !!
मुझसे तू क्या चाहता है यार
अरे तुझमें ही तो गुम हूँ मैं !!
बस गाता ही गाता रहता हूँ
कुछ सुर हूँ,कुछ धून हूँ मैं !!
याँ से निकलकर कहाँ जाऊं
आज इसी उधेड़बून में हूँ मैं !!
जागने और सो जाने के बीच
किसी और की ही रूह हूँ मैं !!
अल्ला रे मेरा क्या होगा यार
कि ख़ुद तो मैं हूँ ना तुम हूँ मैं !!
"गाफिल"मुझे इतना तो बता
मैं अकेला हूँ कि हुजूम हूँ मैं ...
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सोमवार, 30 मार्च 2009
अल्ला रे क्या हूँ मैं......??
गुरुवार, 26 मार्च 2009
पापा मैं स्कूल नहीं जाउंगी........!!

अभी-अभी अपनी छोटी बिटिया मौली को स्कूल छोड़कर आ रहा हूँ,जिसे दस दिनों पहले ही स्कूल में दाखिल किया है....उसकी उम्र ढाई साल है....और रोज-ब-रोज स्कूल के दरवाजे पर पहुँचते ही इतना रोटी है कि उसे वापस घर ले आने को मन करता है....और तक़रीबन सारे ही बच्चे स्कूल के गेट के एब सम्मुख आते ही जोरों से चिंघाड़ मारना शुरू करते हैं....और सारा माहौल ही रुदनमय हो जाता है...कितनी ही माताओं की आँखे नम हो जाती हैं....और कुछ...

तेरे हरफ़ो के अर्थों में मुझे खो जाने दे...
इक ज़रा मुझको खुद में ही खो जाने दे!!सामने बैठा भी नज़र ना आए तू मुझेऐसी बात है तो मुझको ही चला जाने दे !!
तेरी मर्ज़ी से आया तो हूँ अय मेरे खुदा अपनी मर्ज़ी से मुझे जीने दे,चला जाने दे!!
आँख ही आँख से बातें दे करने दे तू मुझे साँस को साँस से जुड़ने दे उसे समाने दे!!
इक जरा जोर से दिल को मिरे धड़कने तो दे ...
गुरुवार, 26 मार्च 2009
व्योम के पार से लौट कर...........
तेरे हरफ़ो के अर्थों में मुझे खो जाने दे...
इक ज़रा मुझको खुद में ही खो जाने दे!!
सामने बैठा भी नज़र ना आए तू मुझे
ऐसी बात है तो मुझको ही चला जाने दे !!
तेरी मर्ज़ी से आया तो हूँ अय मेरे खुदा
अपनी मर्ज़ी से मुझे जीने दे,चला जाने दे!!
आँख ही आँख से बातें दे करने दे तू मुझे
साँस को साँस से जुड़ने दे उसे समाने दे!!
इक जरा जोर से दिल को मिरे धड़कने तो दे
इक जरा जोर से मुझे आज तू खिलखिलाने दे !!
मुझको मेरी ही कीमत ही नहींपता "गाफिल"
इक तिरे सामने महफ़िल अपनी जमाने दे!!...
शनिवार, 21 मार्च 2009
जीवन क्या है...चलता -फिरता एक खिलौना है !!

जीवन क्या है...चलता-फिरता एक खिलौना है!!
"चीजें अपनी गति से चलती ही रहती है ...कोई आता है ...कोई जाता है ....कोई हैरान है ...कोई परेशां है.....कोई प्रतीक्षारत है...कोई भिक्षारत है...कोई कर्मरत है....कोई युद्दरत....कोई क्या कर रहा है ...कोई क्या....जिन्दगी चलती रही है ...जिन्दगी चलती ही रहेगी....कोई आयेगा...कोई जाएगा....!!!!""............जिन्दगी के मायने क्या हैं ....जिन्दगी की चाहत क्या है ....?? ...
शुक्रवार, 20 मार्च 2009
प्यार के इस जज्बे को हमारा सलाम..........!!
प्यार के इस जज्बे को हमारा सलाम.......!!
..............दोस्तों , सबसे पहले जैक ट्वीड के उस जज्बे को हमारा सलाम.......और सच कहूँ तो इन सब घटनाओं से हममें मानवता के प्रति फिर से विश्वास पैदा हो जाता है....वो विश्वास जो कम-से-कम प्रेम के अर्थों में हममे से पूरी तरह छीज चुका है.....और उसकी जगह अब हमेशा लिए एक वितृष्णा हममे जन्म ले चुकी है....दोस्तों.....ट्वीड भाई सचमुच इक मिसाल के रूप में हमारे सामने हैं....और जेड़ गुडी का साहस भी मौत पर उनके अटूट विश्वास को रेखांकित करता करता है.........जब मरना तय हो ही गया........तो...
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