दोस्ती बड़ी कीमती चीज़ है....हम इसको बचाएं कैसे.....हर महफ़िल में आना-जाना चाहते हैं लेकिन॥जाएँ कैसे...!!
जिन्दगी एक ख्वाब की तरह उड़नछू होती जा रही है...वक्त सरपट भागता......जा रहा....!!इस दौड़ में हम कहाँ हैं....इस दौड़ का मतलब क्या है....समझ से परे है॥ उलझने....जद्दोजहद॥खुशी....उदासी..... तिकड़म...हार-जीत और भी ना जाने क्या-क्या....यह खेल- सा कैसा है और इसका मतलब क्या है....समझ से बाहर है...सब कुछ समझ से ही बाहर है तो फ़िर जिंदगी क्या है...और इसके मायने हमारे लिए क्या....ये भी समझ से बाहर ही है....फ़िर...
Visitors

एक पुलक,,,,,,, एक हँसी
कि जैसे हो ..... यही जिन्दगी !!
आँखों में जल लिए बैठा हूँ ,
मुझसे ... रूठी है,,,,,,तिश्नगी !!
होठों पे बस लफ्ज हैं प्यार के ,
दिल्लगी,,,,दिल्लगी,,,दिल्लगी !!
फूल बटोर कर लाया हूँ मैं ,
आती नहीं मगर मुझे बंदगी !!
जो भी होता है वो होता रहेगा ,
कर भी क्या लेगी यह जिंदगी !!
आसमां जैसे है इक दीवाली
तारों...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)