मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
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आदमी को आदमी ने यूँ जकड रखा हैजैसे कि उसे किसी भूत ने पकड़ रखा हैहवा में सब तरफ ये घुटन सी किसी है हवा की गर्दन को आदमी ने जकड रखा है आदमी जूनून में इस कदर अंधा हो गया है आदमी,आदमी हो नहीं सकता,ये पक्का है आदमी को दो-दो आँखे हैं मगर क्यूँ फिर भीहरेक दलदल में अन्धों की तरह लपकता हैकितना अन्धेरा है इस चकाचौंध के भीतरवैसे तो आदमी सितारों की तरह चमकता हैकितना बड़ा मजाक किया है धरती के साथसूरज आग उगलता,अब्र बिन मौसम बरसता हैक्यूँ नहीं इसे पागलखाने में भारती करा देतेपहले...
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सोमवार, 16 अप्रैल 2012
फेसबुक पर डाला हुआ कुछ-कुछ.....!!
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
जो कुछ लिख डाला,पिछले कुछ दिनों फेसबुक पर
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
किसी भी बात पर गुस्से में तोड़-फोड करना इस बात का इशारा है कि आप निहायत ही बददिमाग-बदमिजाज हैं और तमीज से परे हैं....और यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसा भी कह सकते हैं कि आप खुद भी लातों के भूत है....
अपने कार्य को मेहनत...और दुसरे के कार्य को ओरा-बारा कहना सामने वाले का अपमान है.....
जो लोग कभी किसी की राय को आत्मसात नहीं करते...वो जीवन में कभी आगे नहीं जा पाते....
आप समझदार हो सकते हो मगर इसका अर्थ यह कतई नहीं कि सामने वाला बावला है....!!
अपनी बात को सज्जनता पूर्वक-शालीनतापूर्वक नहीं कहना...
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