मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
कुछ सालों पहले की
बात है एक ताकतवर किरायेदार हुआ करते थे,जो बरसों से एक शहर में उस शहर के सबसे पाश और व्यापारिक इलाके में अवस्थित
अपेक्षाकृत कमजोर व्यक्ति के व्यापारिक प्रोपर्टी पर किरायेदार थे,और बरसों से उन्होंने अपने मकान मालिक को अपने
राजनैतिक रसूख और ताकत के बल पर किराया देना भी बंद कर रखा था मगर उस जगह के कई पार्ट कर उन्होंने कई किरायेदार लगा
रखे थे और इस तरह वो इस हराम की संपत्ति से हज़ारों रूपये हर माह कमा रहे थे और
मकान मालिक उनका मूहँ ताक रहा...
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शनिवार, 10 नवंबर 2012
समय सबका हिसाब किताब साफ़ करेगा !!
शुक्रवार, 3 अगस्त 2012
ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
थोड़ा चिंतित हूँ और व्यथित हूँ,मगर मेरी जैसी मानसिक दशा वाले लाखों लोग इसी वतन में अपनी चिंताओं को इस तरह प्रकट कर रहे हैं,अगर आपको लगे कि यह वाजिब है तो हमें जगह दें ,हम आपके आभारी रहेंगे !!
ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!
अन्ना-टीम के अनशन समाप्त होने के बाद शायद अब आगे अनशन जैसे कार्यक्रमों की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है !,अनशन समाप्त करने की वजह प्रकट में चाहे जो भी बतायी जाए मगर अप्रकट में बहुत सारे रहस्य हैं,जिनका...
शुक्रवार, 3 अगस्त 2012
i-next men mera aalekh
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
http://i48.tinypic.com/16k87yx.jpg
http://i48.tinypic.com/16k87yx.jpg
...
सोमवार, 30 जुलाई 2012
हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!
बस एक बात बता दे मेरे पगड़ी वाले भाई.....अगर तूने कोई करप्शन नहीं किया है तो ये थेथरई काहे की....लोकपाल ला दे ना.....इसमें दिक्कत क्या है भला.....जैसे मिलजुलकर राष्ट्रपति दे दिया...वैसे ही एक लोकपाल भी दे दे.... !!
एक और बात बता मेरे पगड़ी वाले भाई.....क्या जंतर-मंतर पर बैठे लोग पागल हैं....??वहशी हैं....??दरिन्दे हैं....कि राक्षस.....??....या फिर निजी रूप से तेरे दुश्मन.....??......यार क्या तू और तेरी टीम ही देश की...
रविवार, 29 जुलाई 2012
शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??
बहुत अजीब हालत है मेरे मन की !!बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ, कहना चाहता हूँ,गाना चाहता हूँ,मंचित करना चाहता हूँ....पल-दर-पल आँखों के सम्मुख बहुत कुछ घटित होता रहता है,जो मानवता को शर्मसार और मुझे व्यथित करता रहता है,जिससे पीड़ित होकर खुद को व्यक्त करना चाहता हूँ मगर साथ ही कुछ भी लिखने में लगने वाले वक्त की अपेक्षा अपने लिखे जाने के "अ-परिणामों " पर विचार करता हूँ तो...
शनिवार, 28 जुलाई 2012
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
एक बार फिर आमिर मैं तुम्हारे प्रोग्राम को देखते हुए कई बार भीतर ही भीतर रोता रहा,ये आंसू किन्हीं लोगों के जज्बे के,ईमानदारी के,हिम्मत के और अपने काम द्वारा समाज के सम्मुख एक मिसाल बन जाने वाली प्रेरणा के लिए थे,मैं रोया इस बात पर भी कि नौ साल का एक बच्चा,सब्जी बेचने वाली कोई औरत,कोई अशक्त-विकलांग व्यक्ति,तो कोई अशिक्षित व्यक्ति या कोई बूढ़ा-बुजुर्ग व्यक्ति किसी दर्द या समस्या को सामने पाकर बजाय हिम्मत हारने के उसके सामने कैसे...
रविवार, 22 जुलाई 2012
भाई आमिर,नमस्कार !!
भाई आमिर,नमस्कार
सत्यमेव जयते के सारे एपिसोड देख-देखकर द्रवित और उद्वेलित होता रहा हूँ,हर बार कुछ कहना भी चाहा,मगर रह गया.मगर अब देखा कि अगला एपिसोड आखिरी होगा तो सोचा कह ही डालूं !बड़े अनमने मन से कह रहा हूँ हालांकि,क्यूंकि बहुत कुछ बहुत सारे लोगों द्वारा कहा/लिखा जाता रहा है,कहा/लिखा जाता रहता है,कहा/लिखा जाता रहेगा....मगर बात उसके प्रभाव की है,उसके परिणामों की है और यह अगर हर बार शून्य ही रहना है तो कुछ भी कहना/लिखना या किसी भी माध्यम से कुछ भी व्यक्त...
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
फेसबुक पर डाला हुआ कुछ-कुछ.....!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
१
आदमी को आदमी ने यूँ जकड रखा हैजैसे कि उसे किसी भूत ने पकड़ रखा हैहवा में सब तरफ ये घुटन सी किसी है हवा की गर्दन को आदमी ने जकड रखा है आदमी जूनून में इस कदर अंधा हो गया है आदमी,आदमी हो नहीं सकता,ये पक्का है आदमी को दो-दो आँखे हैं मगर क्यूँ फिर भीहरेक दलदल में अन्धों की तरह लपकता हैकितना अन्धेरा है इस चकाचौंध के भीतरवैसे तो आदमी सितारों की तरह चमकता हैकितना बड़ा मजाक किया है धरती के साथसूरज आग उगलता,अब्र बिन मौसम बरसता हैक्यूँ नहीं इसे पागलखाने में भारती करा देतेपहले...
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
जो कुछ लिख डाला,पिछले कुछ दिनों फेसबुक पर
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
किसी भी बात पर गुस्से में तोड़-फोड करना इस बात का इशारा है कि आप निहायत ही बददिमाग-बदमिजाज हैं और तमीज से परे हैं....और यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसा भी कह सकते हैं कि आप खुद भी लातों के भूत है....
अपने कार्य को मेहनत...और दुसरे के कार्य को ओरा-बारा कहना सामने वाले का अपमान है.....
जो लोग कभी किसी की राय को आत्मसात नहीं करते...वो जीवन में कभी आगे नहीं जा पाते....
आप समझदार हो सकते हो मगर इसका अर्थ यह कतई नहीं कि सामने वाला बावला है....!!
अपनी बात को सज्जनता पूर्वक-शालीनतापूर्वक नहीं कहना...
मंगलवार, 27 मार्च 2012
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
कहते हैं एक राजा हुआ,और एक बार उसके दरबार में तीन ऐसे चोर एक साथ लाये गए,जिन्होंने एक ही तरह की चोरी की थी,मगर राजा ने तीनो को ऊपर से नीचे देखते हुए तीन प्रकार के दंड दिए तब उसके एक मंत्री ने इसका कारण पूछा तो राजा के कहे-अनुसार उन तीनों सजा पाए हुए चोरों का पीछा किया गया और तब यह पाया गया कि जिसे सबसे कम सजा मिली थी उसने रात ही आत्महत्या कर ली,दूसरा,जिसे थोड़ी ज्यादा सजा मिली,उसने खुद को एकांत...
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
आज विज्ञान दिवस है.....????
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
आज विज्ञान दिवस है और इस देश में आज विज्ञान की हालत बदतर से बदतरीन की हालत में जा चुकी है,इसका कारण महज इतना है कि विज्ञान नाम की चीज़ को यहाँ की भाषाओं में पेश ही नहीं किया गया कभी,एक अर्धसाक्षर देश के कम-पढ़े-लिखे लोगों को उचित प्रकार से शिक्षा से ही नहीं जोड़ा जा सका आज तक,तब वैज्ञानिक सोच की बात करना तो और भी दूर की कौड़ी है !
पराई भाषा से भारत का वंचित तबका ना तो अब तक जुड़ पाया है और ना ही कभी जुड़ भी पायेगा क्योंकि जिस भाषा में उसका ह्रदय धडकता...
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
आज दिल बड़ा कुटुर-कुटुर कर रहा है !!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
"आज बड़ा बेचैन है यार तू,क्या बात है ?"
"आज दिल बड़ा कुटुर-कुटुर कर रहा है यार !"
"कुटुर-कुटुर ?अबे ये क्या बला है ?"
"कुटुर-कुटुर माने वही,जो तुने अभी-अभी कहा,बेचैन !"
"तो सीधा-सीधा बोला कर ना,यूँ ऊट-पटांग क्या बकता रहता है ?"
"यार,कल से जो अपना गणतंत्र-दिवस पार हुआ ना,तब से ही मेरा दिल बड़ा ऐसा-वैसा-सा हो...
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