भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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शनिवार, 26 नवंबर 2011

बस एक थप्पड़ !!??

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! बस एक थप्पड़ !!??            आज के भारत का सबसे ताजा और मौजूं प्रश्न,आज के भारत के सबसे ज्यादा सुने और सराहे जाने वाले एक गैर-राजनैतिक व्यक्ति के मूंह से निकला हुआ और अब तक सर्वाधिक भर्त्सना का शिकार हुआ एक बयान,जिसे लोकतंत्र के खिलाफ और हिंसा के पक्ष में दिया गया एक गैर-जिम्मेदाराना बयान बताया जा रहा है,मगर सिर्फ राजनैतिक नेताओं और उनसे जुड़े लोगों द्वारा....आम लोगों में इस बयान के प्रति कोई भर्त्सना-भाव नहीं दिखाई पड़ता !! ऐसा लगता है कि आम लोगों...
शनिवार, 19 नवंबर 2011

इस वतन का भला सोचनेवाले ही असल में देश-द्रोही हैं !!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!             रोज की तरह रोज अखबार पढता हूँ....और इनके माध्यम से अपने आस-पास की अच्छाईयों और बुराईयों से अवगत होता हूँ...कहना ना होगा कि अच्छाईयों से ज्यादा बुराईयों के समाचार ही छाए हुए होते हैं तमाम तरह की ख़बरों में.....ऐसा लगता है कि आदमी ने अपने खुश रहने का माध्यम ही हर तरह की बुराई को बना रखा है...और मज़ा यह कि इसी समाज से इन्हीं बुराईयों के खिलाफ प्रलाप का सूर...
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