मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
प्रबंधन के कुछ गैर-पारिभाषिक एवं गैर प्रचलित सूत्र !!
प्रिय भाई ,
तुम्हें मेरा अत्यधिक प्रेम,
आज तुमसे कुछ बातें शेयर करने को दिल चाह रहा है,किन्तु आमने-सामने देर तक कुछ कहा जाना और सामने वाले का उसका सूना जाना अब बड़ा दुरूह हो चुका है,इसलिए यह पत्र तुम्हें लिख रहा हूँ कि तुम बड़े इत्मीनान से समय लेकर पढ़ सको,और जब अवसर मिले इसे पढ़कर प्रबंधन के कुछ गुर सीखो और मज़ा यह...
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शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
प्रबंधन के कुछ गैर-पारिभाषिक एवं गैर प्रचलित सूत्र !!
शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
धरती पर बढ़ेंगे अभी और बलात्कार !!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
धरती पर बढ़ेंगे अभी और बलात्कार !!
शीर्षक पढ़कर चौंकिए नहीं क्योंकि तरह-तरह के अध्ययनों के अनुसार जो तथ्य सामने आ रहे हैं उनसे दो बातें स्पष्टया साबित होती हैं,एक,धरती पर पुरुष-स्त्री का लिंगानुपात असामान्य रूप से असंतुलित होता जा रहा है,दूसरा,संचार के तमाम द्रुतगामी साधनों की बेतरह उपलब्धता के कारण आदमी जल्द ही व्यस्क होता जा रहा है,आदमी जहां पूर्व में इक्कीस-बाईस में,फिर सत्रह-अट्ठारह में,फिर पंद्रह-सोलह में और अब तेरह-चौदह...
शनिवार, 24 सितंबर 2011
हैप्पी बर्थ डे आल ऑफ़ टू यू..............
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
हैप्पी बर्थ डे आल ऑफ़ टू यू
दिन बदलते हैं....
कुछ बदलता सा दिखाई देता है....
मगर कुछ बदलता सा नहीं होता...
बस थोड़ा सा हम बदल जाते हैं....
एक दिन और बढ़ जाते हैं....
एक कदम और मृत्यु की और ले जाते हैं
दिन बदलते जाते हैं...
और हर एक दिन के साथ
बढ़ा लेते हैं हम
अपनी कुछ और जिम्मेवारियां....
सर पर बोझ बढाते जाते हैं
और खुद ही हर दिन
अपने-आप पर बोझ बनते जाते हैं
बदलता है ना बहुत कुछ...
हमारा हंसता हुआ चेहरा
उदासी में परिणत हो जाता है
इस...
बुधवार, 21 सितंबर 2011
ये नए मिजाज का शहर है,ज़रा फासले से मिला करो !!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
आईआईएम बेंगलुरु की छात्रा मालिनी मुर्मू के आत्महत्या जैसे कदम उठाये जाने से एक बार फिर सोशल-साईट्स में बनाने वाले रिश्तों की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह उठता है,कि बिना-देखे भाले बनाए गए रिश्ते और दोस्ती टिकाउपन के लिहाज से कहीं क्षण-भंगुर तो नहीं...?महज अपनी फ्रेंड-लिस्ट के बड़ा होते जाने को लेकर रोमांटिक होना इस...
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
अभी-अभी जो मैंने पढ़ा....अच्छा लगा....!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
SUNDAY, SEPTEMBER 11, 2011
जब औरत घर की जिम्मेदारियां ना संभालना चाहे तो क्या करें?
इंसान को जीने के लिए इस दुनिया मैं बहुत कुछ करना पड़ता है. बचपन से बच्चों को पढाया लिखाया जाता केवल इसलिए है कि समाज मैं इज्ज़त से सर उठा के जी सकें. अपनी अपनी सलाहियत के अनुसार हर इंसान अपने रोज़गार का रास्ता चुन लेता है. कोई व्यापार करने लगता है, कोई विज्ञान मैं महारत हासिल करता है तो कोई...
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
क्या कोई सुन भी रहा है...???
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
क्या कोई सुन भी रहा है...???
"संपत्ति ने मनुष्य का निर्माण नहीं किया है,बल्कि मनुष्य ने संपत्ति ईजाद की है.अपनी जिन्दगी को जितनी सरलता और सहजता से जी सको,जीने की कोशिश करो.अगर आपके पास पैसा है,तो उसे अनावश्यक रूप से खर्च करने के बजाय उन लोगों पर खर्च करो,जिन्हें इसकी जरुरत है."
ये शब्द (किसी संत या) किसी और के नहीं अपितु दुनिया के सबसे बड़े उद्द्योगपतियों में शुमार "वारेन बफेट"के हैं,जिन्होंने...
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