
ओ स्त्री...बच के तुम जाओगी कहाँ....भला...!!??ऐ स्त्री !!बहुत छटपटा रही हो ना तुम बरसों से पुरुष के चंगुल में…क्या सोचती हो तुम…कि तुम्हें छुटकारा मिल जायेगा…??मैं बताऊं…?? नहीं…कभी नहीं…कभी भी नहीं…क्योंकि इस धरती पर किसी को भी पुरुष नाम के जीव सेमरे बगैर या विलुप्त हुए बगैर छुटकारा नहीं मिलता…पुरुष की इस सत्ता ने ना जाने कितने प्राणियों को लुप्त कर डालापुरुष नाम के जीव की सत्ता की हवस के आगे कोई नहीं टिक पायायह तो सभ्यता की शुरुआत...