भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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बुधवार, 17 नवंबर 2010

जब कुछ नहीं बोलती स्त्री......!!

जब कुछ नहीं बोलती स्त्री तब सबसे ज्यादा बोलती हुई कैसे लगती है ! जब गुनगुनाती है वो अपने ही घर में तब सारी दिशाएं गाती हुईं कैसे लगती हैं भला ! जब आईने में देखती है वो अपने-आपको तो चिड़िया सी फुदकती है उसके सीने में ! बच्चों के साथ लाड करती हुई स्त्री दुनिया की सबसे अनमोल सौगात है जैसे ! जब कभी वो तुम्हें देखती है अपनी गहरी आँखों से तुम सकपका जाते हो ना कहीं अपने-आप से !! स्त्री ब्रह्माण्ड की वो सबसे अजब जीव है जिसकी जरुरत तुम्हें...
गुरुवार, 4 नवंबर 2010

सुलगता क्यूं है कश्मीर ??,एक बिलकुल अलग-सा विचार...!!

                            सुलगता क्यूं है कश्मीर ??,एक बिलकुल अलग-सा विचार...!!                    कभी-कभी समस्याएं होती नहीं हैं बल्कि बना ली जाती हैं !कभी आपने ध्यान दिया कि जब किसी घर का कोई सदस्य किसी के प्रेम में पड्ता है तब क्या होता है ?होता यह है कि घर के सारे सदस्य उस प्रेमी और प्रेयसी के...
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