मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........आप सबको इस भूतनाथ का बेहद ह्रदय भरा प्रेम.........दोस्तों पिछले समय में मुझे मिले कईयों आमंत्रणों में में मैंने कुछ आमंत्रणों को स्वीकार कर अनेक ब्लॉग में लिख रहा था.....बेशक एक ही आलेख हरेक ब्लॉग में होता था....आज अपनी एक ब्लागर मित्र की आज्ञा या यूँ कहूँ कि एक प्यारी-सी राय मान कर अपने को आज से सिर्फ़ एकाध ब्लाग में सीमित किए दे रहा हूँ...ये ब्लॉग कम्युनिटी ब्लोगों में "कबीरा खड़ा बाज़ार में","रांची-हल्ला"...
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रविवार, 30 अगस्त 2009
मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........!!!
शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
http://katrane.blogspot.com/2009/08/blog-post_06.html?showComment=1251479180268#क६३४०५३६०१९९४६९९१२७२ से लौटकर
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! आज ब्लॉग्गिंग में कोई नौ महीने होने को हुए....मैं कभी किसी झमेले से दूर ही रहा....सच तो यह है....महीने-दो-महीने में ही मैंने ब्लोग्गरों में इस ""टोलेपन"" को भांप लिया था....और इस बात की तस्दीक़ रांची में हुए ब्लोग्गर सम्मेलन में भी भली-प्रकार हो गयी थी.........मैं किसी से ना दूर हूँ ना नज़दीक..........आज पहली बार किसी भी ब्लॉगर की पोस्ट पर इतनी ज्यादा देर ठहरा हूँ...!!....शायद आधे घंटे से भी ज्यादा.......पूरी पोस्ट और हर एक टिप्पणी पर ठहर-ठहर कर सोचते हुए बहुत से...
शनिवार, 22 अगस्त 2009
ऐ भारत !! चल उठ ना मेरे यार !!

"ए भारत ! उठ ना यार !! देख मैं तेरा लंगोटिया यार भूत बोल रहा हूँ.....!!यार मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....तुझे सुनाई नहीं देता क्या....??""यार तू आदमी है कि घनचक्कर !! मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....और तू है कि मेरी बात का जवाब ही नहीं देता...!!""अरे यार जवाब नहीं देता, मत दे !! मगर उठ तो जा मेरे यार !! कुछ तो बोल मेरे यार....!!""देख यार,हर बात की एक हद होती है...या तो तू सीधी तरह उठ जा,या फिर मैं चलता हूँ....तुझे उठाते-उठाते...
बुधवार, 19 अगस्त 2009
गार्गी जी के ब्लॉग से लौट कर {भूतनाथ}

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!हम्म्म्म्म्म्म्म.....ये गार्गी को क्या हो गया भई....??....ये तो ऐसी ना थी....!!....अब मैं देखता हूँ तो क्या देखता हूँ,कि मैं एक गीत हुआ गार्गी के बाल सहला रहा हूँ.....और उसे बस इक चवन्नी भर मुस्कुराने को कह रहा हूँ.....".....पगली है क्या....हंस दे ज़रा....!! ".....जीवन है ऐसा.....गम को भूला....!!......लोगों का क्या....ना हों तो क्या...!!.....गुमसुम है क्यूँ....सब कुछ भुला...!!.....जीवन है सपना....बाहर...
शनिवार, 15 अगस्त 2009
धर्म जीने देने के लिए है,मिटाने के लिए नहीं......!!

धर्म जीने देने के लिए है,मिटाने के लिए नहीं......!! सच कहूँ तो इस्लाम क्या,अपितु सभी धर्मों को आत्म-मंथन की तत्काल ही गहन आवश्यकता है,अगर यह समयानुकूल नहीं हो पाया तो समय इसे ग्रस लेने वाला है,सच कहूँ तो टिप्स मेरे पास भी हैं,मगर इस्लाम के अनुयायी-मौलवी आदि किसी भी टिप्स को स्वीकार करने में अपनी हेठी समझते हैं....दरअसल आदमी का अंहकार कभी आदमी को आदमी नहीं बना रहने देता...
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!क्या हुआ जो मुहँ में घास है अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!क्या हुआ जो चोरों के सर पर ताज है अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!क्या हुआ जो गरीबों के हिस्से में कोढ़ ओर खाज है अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!क्या हुआ जो अब हमें देशद्रोहियों पर नाज है अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!क्या हुआ जो सोने के दामों में बिक रहा अनाज है अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!क्या हुआ जो आधे देश में आतंकवादियों...
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
आओ इस जश्न को साझा कर लें....

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!बैठक Baithak to me Baithak.....se utha kar yahaan le aaya hun.....!! आओ इस जश्न को साझा कर लें.... Posted: 13 Aug 2009 08:15 PM PDT आज़ादी की 62वीं सालगिरह पर ये तस्वीरें ख़ास बैठक के लिए वाघा बॉर्डर से हमारे दोस्त सोहैल आज़म ने भेजी हैं......सोहैल जामिया से मास कॉम की पढ़ाई के बाद बच्चों के लिए काम करने वाली एक संस्था से जुड़े हैं....इसी सिलसिले में वाघा जाना हुआ तो...
मंगलवार, 11 अगस्त 2009
सुनो-सुनो-सुनो.....गरीब देशवासियों सुनो....
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! सुनो-सुनो-सुनो.....गरीब देशवासियों सुनो...!! सुनो-सुनो-सुनो....देश के समस्त गरीब देशवासियों सुनो....हम इस देश की सरकार बोल रहे हैं.....इसलिए तुम सब लोगन हमारी बात कान खोल कर सुनो....हम आपके लिए एक तोहफा लाये हैं...अभी-अभी हमने तुम सबके बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का विधेयक पास कर दिया है...अब आज से तुम सब लोगन अपने गरीब बच्चों को स्कूलों में भेज कर पढ़ा और लिखा कर नवाब बना सकते हो...अब तुम सब लोगन आने वाले दिनों में...
गुरुवार, 6 अगस्त 2009
ऐसी ही कार्रवाईयों से तो जल उठता है देश
ऐसी ही कार्रवाईयों से तो जल उठता है देश पता नहीं क्यों इस देश की तमाम सरकारें यही समझती हैं कि उसके और उसके कर्ता-धर्ताओं के अलावे तमाम भारतवासी “चूतिये”हैं !!{दरअसल यहाँ मुझे इससे खराब कोई शब्द नहीं मिल रहा,मैं इससे भी ज्यादा गंदे शब्द का इस्तेमाल करना चाहता हूँ,इसके लिए पाठक मुझे माफ़ करें !!} इस देश के तमाम खेवनहारों में यह कमी अनिवार्य रूप से पाई जाती है,कि जनता की आवाज़ को,उसकी इच्छा,आवश्यकता और अधिकारों की अनदेखी ही करते हैं, गोया जनता मनुष्य ना होकर जानवर हों,और उनके मुख से किसी...
रविवार, 2 अगस्त 2009
सब कुछ पगला क्यूँ रहा है....??
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! सब कुछ पगला क्यूँ रहा है....?? पानी कहीं नहीं बरस रहा है....चारों तरफ़ हाहाकार मच चुका है....पिछले साल यही पानी जब झूम-झूम कर बरसा था...तब भी इसी तरह का हाहाकार मचा था....पानी इस तरह क्यूँ पगला जाता है...कभी तो बावला-सा मतवाला तो कभी बिल्कुल ही मौन व्रत....!! दरअसल इसके जिम्मेवार हम ही तो हैं....इसके बनने के तमाम रास्तों में,इसके बहने के तमाम रास्तों में, इसके खिलने के तमाम रास्तों में हमने अपने नाजायज़ खूंटे गाड दिए हैं....एक बिल्कुल...
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