पिघल रही है अब जो यः धरती तो इसे पिघल ही जाने दे !! बहुत दिन जी लिया यः आदम तो अब इसे मर ही जाने दे !!आदम की तो यः आदत ही है कि वो कहीं टिक नहीं सकता अब जो वो जाना ही चाहता है तो रोको मत उसे जाने ही दे !! कहीं धरम,कहीं करम,कहीं रंग,कहीं नस्ल,कितना भेदभाव फिर भी ये कहता है कि ये "सभ्य",तो इसे कहे ही जाने दे !! ताकत का नशा,धन-दौलत का गुमान,और जाने क्या-क्या और गाता है प्रेम के गीत,तू छोड़ ना, इसे बेमतलब गाने दे !!तू क्यूँ कलपा करता है यार,किस बात को रोया करता है क्यूँ आदम तो सदा से ही ऐसा है और रहेगा"गाफिल" तू जाने...
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रविवार, 27 दिसंबर 2009
छोड़ ना गाफिल....जाने दे......!!
रविवार, 20 सितंबर 2009
चोखेर बाली से लौट कर...दुनिया के पुरुषों,संभल जाओ...!!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! यह जो विषय है....यह दरअसल स्त्री-पुरुष विषयक है ही नहीं....इसे सिर्फ इंसानी दृष्टि से देखा जाना चाहिए....इस धरती पर परुष और स्त्री दो अलग-अलग प्राणी नहीं हैं...बल्कि सिर्फ-व्-सिर्फ इंसान हैं प्रकृति की एक अद्भुत नेमत.. !!...इन्हें अलग-अलग करके देखने से एक दुसरे पर दोषारोपण की भावना जगती है....जबकि एक समझदार मनुष्य इस बात से वाकिफ है की इस दुनिया में सम्पूर्ण बोल कर कुछ भी नहीं है.....अगर...
मंगलवार, 15 सितंबर 2009
एक बार की बात है...... उल्लू राज की बात है......!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! एक बार क्या हुआ कि जम्बुद्वीप के भारत नाम के इक देश में उल्लू नामक एक जीव का राज्य कायम हो गया.....फिर क्या था,पिछले सारे कानून बदल दिए गए...नए-नए फरमान जारी किए जाने लगे, बाकी चीज़ों की बात तो ठीक थी मगर जब "उलूकराज" ने जब राज्य की जनता को यह फरमान जारी किया कि अब से दिन को रात और रात को दिन कहा जाए....तब लोगों को यह बड़ा नागवार गुजरा.मगर चूँकि इस देश के लोगों को राजाज्ञा...
गुरुवार, 10 सितंबर 2009
मेरे तो चारों तरफ आग ही आग है!!

यहाँ से वहां तक कैसा इक सैलाब हैमेरे तो चारों तरफ आग ही आग है!!कितनी अकुलाहट भरी है जिन्दगीहर तरफ चीख-पुकार भागमभाग है!!अब तो मैं अपने ही लहू को पीऊंगाइक दरिंदगी भरी अब मेरी प्यास है!!मेरे भीतर तो तुम्हे कुछ नहीं मिलेगामुझपर ऐ दोस्त अंधेरों का लिबास है!!हर तरफ पानियों के मेले दिखलाती हैउफ़ ये जिंदगी है या कि इक अजाब है!!हर लम्हा ऐसा गर्मियत से भरा हुआ हैऐसा लगता है कि हयात इक आग है !!हम मर न जाएँ तो फिर करें भी क्याकातिल को हमारी...
रविवार, 6 सितंबर 2009
हम भूत बोल रहा हूँ...चीनी कम.....चीनी कम......!!
देखिये गरीब भईया जीहमन तो एक्क ही बतवा कहेंगे......एही की.....बहुते चीज़ दूर होन्ने से मीठा हो जाता है......आदमिवा से कोइयो चीज़ को दूर कर दीजिये ना....ऊ चीज्वा ससुरवा तुरंते मीठा हुई जावेगा....सरकारे भी एही भाँती सोचती है....झूठो का झंझट काहे करें...ससुरी चीनी को मायके भेज दो देखो आदमी केतनों पईसा खर्च करके ससुरा उसको,जे है से की लेयिये आवेगा.....!! आउर देखिये बाबू ई धरती पर गरीबन को जीने-वीने का कोइयो हक़-वक नहीं है....उसको जरुरत अगर अमीरन को खेती करने,जूता बनाने,पखाना साफ़ करने,दाई-नौकर का तमाम...
गुरुवार, 3 सितंबर 2009
अरे भाई...जिंदगी तो वही देगी....जो...........!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! अरे भाई...जिंदगी तो वही देगी....जो...........!! हम क्या बचा सकते हैं...और क्या मिटा सकते हैं......ये निर्भर सिर्फ़ एक ही बात पर करता है....कि हम आख़िर चाहते क्या हैं....हम सब के सब चाहते हैं....पढ़-लिख कर अपने लिए एक अदद नौकरी या कोई भी काम....जो हमारी जिंदगी की ज़रूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त धन मुहैया करवा सके....जिससे हम अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें...तथा शादी करके एक-दो बच्चे पैदा करके...
रविवार, 30 अगस्त 2009
मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........!!!
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........आप सबको इस भूतनाथ का बेहद ह्रदय भरा प्रेम.........दोस्तों पिछले समय में मुझे मिले कईयों आमंत्रणों में में मैंने कुछ आमंत्रणों को स्वीकार कर अनेक ब्लॉग में लिख रहा था.....बेशक एक ही आलेख हरेक ब्लॉग में होता था....आज अपनी एक ब्लागर मित्र की आज्ञा या यूँ कहूँ कि एक प्यारी-सी राय मान कर अपने को आज से सिर्फ़ एकाध ब्लाग में सीमित किए दे रहा हूँ...ये ब्लॉग कम्युनिटी ब्लोगों में "कबीरा खड़ा बाज़ार में","रांची-हल्ला"...
शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
http://katrane.blogspot.com/2009/08/blog-post_06.html?showComment=1251479180268#क६३४०५३६०१९९४६९९१२७२ से लौटकर
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! आज ब्लॉग्गिंग में कोई नौ महीने होने को हुए....मैं कभी किसी झमेले से दूर ही रहा....सच तो यह है....महीने-दो-महीने में ही मैंने ब्लोग्गरों में इस ""टोलेपन"" को भांप लिया था....और इस बात की तस्दीक़ रांची में हुए ब्लोग्गर सम्मेलन में भी भली-प्रकार हो गयी थी.........मैं किसी से ना दूर हूँ ना नज़दीक..........आज पहली बार किसी भी ब्लॉगर की पोस्ट पर इतनी ज्यादा देर ठहरा हूँ...!!....शायद आधे घंटे से भी ज्यादा.......पूरी पोस्ट और हर एक टिप्पणी पर ठहर-ठहर कर सोचते हुए बहुत से...
शनिवार, 22 अगस्त 2009
ऐ भारत !! चल उठ ना मेरे यार !!

"ए भारत ! उठ ना यार !! देख मैं तेरा लंगोटिया यार भूत बोल रहा हूँ.....!!यार मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....तुझे सुनाई नहीं देता क्या....??""यार तू आदमी है कि घनचक्कर !! मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....और तू है कि मेरी बात का जवाब ही नहीं देता...!!""अरे यार जवाब नहीं देता, मत दे !! मगर उठ तो जा मेरे यार !! कुछ तो बोल मेरे यार....!!""देख यार,हर बात की एक हद होती है...या तो तू सीधी तरह उठ जा,या फिर मैं चलता हूँ....तुझे उठाते-उठाते...
बुधवार, 19 अगस्त 2009
गार्गी जी के ब्लॉग से लौट कर {भूतनाथ}

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!हम्म्म्म्म्म्म्म.....ये गार्गी को क्या हो गया भई....??....ये तो ऐसी ना थी....!!....अब मैं देखता हूँ तो क्या देखता हूँ,कि मैं एक गीत हुआ गार्गी के बाल सहला रहा हूँ.....और उसे बस इक चवन्नी भर मुस्कुराने को कह रहा हूँ.....".....पगली है क्या....हंस दे ज़रा....!! ".....जीवन है ऐसा.....गम को भूला....!!......लोगों का क्या....ना हों तो क्या...!!.....गुमसुम है क्यूँ....सब कुछ भुला...!!.....जीवन है सपना....बाहर...
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