अ चाँद ! आ आज !! ई ईद है !!
ऐ , एक बार सिर्फ़ -
ऊ ,उर्स-सी रौशनी की चादर बनकर ,
ओ ,ओस की शीतल महक होकर ,
औ ,और कुरान की पाक इबारत-सा ,
अं ,अंग-अंग में मेरे आकर छा जा !!
अः,अंततः मुझे सूरज बना जा !!
क , कालिमा की एक लकीर हूँ मैं !
ख,खुदी से बिल्कुल परे हूँ मैं !
ग, गाफिल हूँ मैं तुझ-तक से भी !
घ, घायल हूँ किस तीर का मैं ?
च,चुप क्यूँ है तू बोल ना ?
छ,छुपा हुआ है तू अब तक कहाँ ?
ज ,जहाँ भर में मैं तुझे ढूंढें फिरूँ!!
झ,झाडू-सा तू अब मुझे बुहार !!
ट ,टट्टू-सा मुझे जोत दिया !
ठ,ठठेरों के आगे फ़ेंक दिया !
ड ,डमरू-सा ना...
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मंगलवार, 30 सितंबर 2008
मेरी सच्ची-मुच्ची की ईद मना दे !!
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