tag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post7846128843464245984..comments2023-10-26T04:02:10.411-07:00Comments on बात पुरानी है !!: हयात ही मेरे पर क़तर गई..........!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )http://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post-1391202932514508422009-05-08T11:28:00.000-07:002009-05-08T11:28:00.000-07:00जिंदगी चल नहीं रही है लुढ़क रही है मानो इतनी थकी ह...जिंदगी चल नहीं रही है लुढ़क रही है मानो इतनी थकी हो कि इसे न जाने कितनी सीढियां चडनी पडी हों जीते जीते जीने की आदत पड़ गई ; जोरदार शेर (यद्यपि शेर के लिए जोरदार शब्द का प्रयोग अच्छा नहीं लगता मगर सभी कर रहे है ) जीना चाहता था (वह भी शान से )मगर जिंदगी ने मेरे पर काट दिया ;उत्तम /पैदा होने के बाद और मरने से पहले आदमी को तकलीफ तो रहती ही है /मगर बढ़ गई शब्द ने बजन बढा दिया हैBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post-68203599155217089162009-05-08T09:55:00.000-07:002009-05-08T09:55:00.000-07:00खूबसूरत रचनाखूबसूरत रचनादिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post-73137588170557953532009-05-07T20:17:00.000-07:002009-05-07T20:17:00.000-07:00शान से जीना चाहता था मैं
हयात ही मेरे पर क़तर गयी ...शान से जीना चाहता था मैं<br />हयात ही मेरे पर क़तर गयी <br />सुन्दर रचना है...Deepak Tiruwahttps://www.blogger.com/profile/13682168547060101938noreply@blogger.com