tag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post4316321988356321650..comments2023-10-26T04:02:10.411-07:00Comments on बात पुरानी है !!: कांटे..फूल...आदमी....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )http://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5696222042701010142.post-33978839328965858582008-11-17T01:35:00.000-08:002008-11-17T01:35:00.000-08:00फूलों से भरे पौधों में से फूल तोडे जाते हैं....और ...फूलों से भरे पौधों में से फूल तोडे जाते हैं....और कांटे वहीं-के वहीं....फूल फ़िर उगते हैं..फिर तोड़ लिए जाते हैं......टूटे हुए फूल आदमी के पास जाकर मुरझा जाते हैं....फूल ख़त्म हो रहे हैं....और कांटे बढ़ते जा रहे....और आदमी का दमन....खून से तर......!!<BR/><BR/>भूतनाथ जी <BR/><BR/>सच्ची बात अपने ही अंदाज़ मैं <BR/>अक्सर ऐसा ही होता है, पर लेखन तो वो होती है जो ऐसे ही शब्दों को काव्य मैं पिरो ले <BRदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com